दोस्तो एक समय की बात हे।

एक छोटे से गांव में गोलू नाम का लड़का रहता था गोलू अपने गांव में बहुत गरीब लड़का था गोलू के पापा एक छोटे मोटे किसान थे इस लिए वो गोलू को अच्छे से कपड़े और अच्छे स्कूल में नहीं पड़ा सकते थे इस लिए गोलू बहुत दुखी रहता था।

एक समय गोलू अपने पिता से बोला पापा हमे एक छोटी साइकिल दिलाओ हम रोज रोज पैदल स्कूल जाते जाते थक गया हूं और रोज में लेट हो जाता । गोलू के पापा के पास इतने पैसे कहा थे के बो गोलू को नई साइकिल दिला सके ।

गोलू के पापा बिना कुछ बोले बहा से चले जाते है। और अब गोलू के पापा रमेश दिन भर गोलू की बात सोचते रहते और फिर अपने मालिक के पास जाते और अपने मालिक से बोलते मालिक आप हमे अपने छोटे लड़के की साइकिल देदो हम आप का काम करके आप के सारे पैसे चुका दुगा।

रमेश का मालिक बहुत अच्छा इंसान था तो उस ने रमेश को साइकिल देदी और कहा ठीक है रमेश तुम ये साइकिल ले जाओ और जब तुम्हारे पास पैसे हो जाए तब दे देना । रमेश साइकिल लेके जा रहा था । और बहुत खुश भी था।

गोलू की जादुई साइकिल।

और जैसे ही रमेश घर पहुंचा और उस ने अपने गोलू को बाहर से आबाज लगाई बेटा गोलू जरा बाहर आओ देखो हम तुम्हारे लिए क्या लाया हु । गोलू ये सुन का भागा चला आता है। गोलू जैसे ही साइकिल देखता है।🥺🫣🫢 गोलू बहुत खुश हो जाता है ।

गोलू की खुशी का कोई ठिकाना नहीं होता । गोलू बहुत हैप्पी था और गोलू उछल के अपने पिता के गले लग गया और ये देख रमेश के आंखो में अंशु आ गए और बो अपने गोलू को अंदर ले गया और उसे बोला बेटा आज से तुम भी दूसरे लडको के तराय साइकिल से स्कूल जाओगे ठीक है।

और गोलू भी बहुत खुश था और फिर सब लोग खाना खाके सो जाते है। और फिर सुभा सब लोग उठ के अपना अपना काम करने लगते हे। और यहां गोलू अपने स्कूल के लिए तैयार होने लगता हे। और कुछ ही देर में गोलू तैयार होके स्कूल के लिए निकल जाता है।

गोली स्कूल जाहि रहा था के रास्ते में गोलू को एक घंटी पड़ी दिखाई दी और उस घंटी को गोलू ने उठा लिया और अपने साइकिल में लगा लिया और जाने लगा और जैसे ही गोलू ने उस घंटी को बजाया और कहा ये साइकिल तो बहुत धीरे चल रही है हम जल्दी कैसे पहुंची और इतना बोलते ही।

गोलू की साइकिल हवा से बाते करते स्कूल पहुंच गई गोलू को कुछ भी समझ नही आया के ये उस के साथ हुआ क्या था लेकिन गोलू ने उस बात पे ध्यान नहीं दिया और अपने स्कूल में चला गया और अपने किलास में जाके बैठ गया और अपने दोस्तो को अपने साइकिल के बारे में बताने लगा ।

गोलू का स्कूल का दोस्त।

गोलू अपनी साइकिल बाहर खड़ा कर आया था और अपने दोस्त से बोलता है के मेरे पास बहुत अनोखी साइकिल हे अब से में बहुत जल्दी स्कूल आया करुगा और कुछ समय बाद गोलू के स्कूल की छुट्टी हो जाती ही सारे बच्चे अपने घर जाने लगते हे।

और यहा गोली भी अपने घर के लिए निकल जाता हे। लेकिन यह तो अब गोलू की साइकिल बहुत धीरे चल रही थी गोलू मन ही मन सोच रहा था के सूबा तो साइकिल बहुत तेज चली थी लेकिन अब ये बहुत धीमी क्यों चल रही है।

और इतना सोचते ही गोलू की साइकिल बहुत तेज से चलने लगती है। और गोलू को उसके घर पर पहुंचा देती है। और अब गोलू को समझ आ गया था के ये साइकिल गोलू के मन की बात सुन लेती हे। और फिर बही कर देती है । को में सोच रहा होता हु।

और अब से गोलू की जिंदगी बदल गई थी गोलू पड़ने में बहुत हुस्यार हुआ करता था और अब तो गोलू बहुत अच्छे से पढ़ाई कर के अपने माता पिता की मादत करने के लिए एक दुकान पे काम भी करने लगा था और धीरे धीरे गोलू की पढ़ाई पूरी हो जाती है।

और अब गोलू को एक सरकारी स्कूल में सरकारी नौकरी मिल जाती हे और गोलू सब कुछ भूल के उस नोकरी को करने लगता हे। और अब गोलू के पापा भी उस पुरानी साइकिल को अपने मालिक को लोटा देता है। और अब गोलू भी गरीबी से बाहर निकल आया था।

और अब सब कुछ अच्छा चलने लगता हे । दोस्तो गोलू की कहानी टॉपिक अच्छा लगा जो तो प्लेश अपने दोस्तो में शेयर करे और हमारे वेबसाई को फोलो जरूर करे थेंकू।

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