एक लड़का था जिस का नाम भरोशी हुआ करता था और उसे भूतों पर बिश्बास नहीं था अगर कहा जय तो भरोशी भूत प्रीत जैसी चीजें मानता ही नहीं था भरोशी को ये लगता था
भूतों की टोली सच में थी।
और कुछ ही समय में बस आ जाती हे और भरोशी उस बस में बैठ कर अपने बहन के गांव झोलपुर निकल जाता हे और करीब 5 घंटे के बाद भरोशी उस गांव में पहुंच जाता हे ।
भूतों की टोली सच में थी।
और जैसे ही भरोशी झोलपुर में उतरता है तो फिर हो अपने बहन के लिए कुछ समान खरीदता हे और फिर लेके जाने लगा और कुछ ही समय में भरोशी बहन के घर पहुंच गया तो
भूतों की टोली सच में थी।
तभी गांव का एक इंसान बोला बेटा बो इंसान नहीं सच में भूत थे क्योंकि इंसान की परछाई होती हे भूतों की नहीं मैने उन को सामने से तो नहीं देखा पर है इतना कह सकता हु
भूतों की टोली सच में थी।
ओर अगर किसी भी गांव के लोगों को बो 5 भूत दिखाई दे तो उनके पास नहीं जाना ओर नहीं उन को रोकने की कोशिश करने ।
भूतों की टोली सच में थी।
अगर किसी ने ऐसा क्या तो उनके जान पर भी मुसीबत आ सकती हे। ओर तभी भरोशी का दिमाक खराब होने लगा भरोशी अपने बहन के घर आ गया
भूतों की टोली सच में थी।
तो फिर भरोशी के बहन ने कहा भाई सच बात हे गांव में भूत प्रीत का साया हे ओर सारे गांव वाले मिल के भूतों को भागने की कोशिश कर रहे हे और फिर कुछ समय के बाद शाम हो जाती है। तो
भूतों की टोली सच में थी।
और फिर भरोशी छत पे चला गया और सोने के लिए अपने बिस्तर लगा लिए और काफी समय तक भरोशी फोन को चलता रहा और जब भरोशी की नजर समय पर गई तो उस ने देखा के रात्रि के 12 बाज गए हे।
भूतों की टोली सच में थी।
और फिर भरोशी छत पे चला गया और सोने के लिए अपने बिस्तर लगा लिए और काफी समय तक भरोशी फोन को चलता रहा और जब भरोशी की नजर समय पर गई तो उस ने देखा के रात्रि के 12 बाज गए हे।
भूतों की टोली सच में थी।
और हम आप को बताए बो 5 भूत रोड के उस पार बने श्मशान से आते हे और सुबह होने से पहल बहा पे पहुंच जाते हे ओर शाम होने से पहल आप उस शमशान में उन की बंदिश करवा दे