Cartoon story in Hindi। शॉर्ट स्टोरी जादुई कुत्ते।dosto Aaj aap sab ke liye ham bahut hi sandar or interference short story leke aaya hu or bo bhi in Hindi me।
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एक समय की बात हे एक छोटे से गांव में रघु नाम का लड़का हुआ करता था रघु का दीमक बहुत चलता था रघु के माता पिता गरीब थे इस लिए बो रघु को अच्छे स्कूल में नही पड़ा सकते थे।
लेकिन इस के बबजुत रघु पड़ने में बहुत तेज हुआ करता था सब कुछ अच्छा चल रहा था के कुछ समय के बाद रघु के पिता जी की तबियत खराब होने लगी और अब उन पे काम नहीं होता और ऐसे में घर की जिमेदारी भी रघु पे आ गईं। moral story in hindi for class 10। चिंटू और उसके बुक मोरल स्टोरी इन हिंदी।
रघु पड़ने में तो तेज था ही उसके साथ रघु बेपार भी करने लगा रघु ने अपने मां से कुछ पैसे ले लिए और उन से रघु ने कई सारे पेन के पैकेट खरीद लिए और उन को बो स्कूल लेके जाने लगा।
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रघु के स्कूल के पास एक बहुत बड़ा कोट हुआ करता था जिस में जज लोगो का इंसाफ किया करता ह बही कोट हुआ करता था और उस दिन रघु अपने स्कूल के छुट जाने के बाद ।
उस कोट के बहार 2 रुपए के 🖋️ पेन को पच रुपए में बेचने लगा रघु का बोलने का तरीका इतना अच्छा था के बो लोगो को अपने पेन को खरीदने के लिए मना ही लेता और कुछ ही समय में रघु ने अपने सारे पेन बेच डाले और घर वापस आ गया। Hindi kahaniyan। राम और इसके दो भाई कार्टून टॉपिक।
और दूसरे दिन फिर रघु स्कूल गया और जैसे ही रघु का स्कूल छूटा तो रघु कोट के बहार जाके बैठ गया और उसने देखा के कोट के बहार लोग किस चीज को ज्यादा खरीद रहे हे।
और ऐसे में रघु ने देखा के कोट के बहार वाले चाय की टपरी पे बहुत भीड़ लगी हुए हे। और लोग चाय के बहुत दीवाने हे जितने भी काले कोट वाले और एन लोग हे सब चाय पी रहे थे।
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रघु ने दीमक लगाया और जो पैसे उसने पेन को बेच कर कमाए थे बही पेसो को उस ने चाय बनने में लगा दिए और अपने घर पे रखी हुए केतली में चाय भर के बेचने लगा ।
लोगो ने रघु की चाय काफी पसंद की और दुकान से 5 रुपए काम में और रघु की चाय कुछ ही समय में खत्म हो गई और रघु घर चला आया । रंजनी की चटपटी सास। Hindi kahaniya cartoon story in Hindi।
और अब तो रघु स्कूल के बाद कई बार चाय बना बना के बेचने लगा इस से रघु अच्छी खासी कमाई भी करने लगा और फिर रघु सोचने लगा के हम दिन भर चाय बेचते हे लेकिन इस का जितना पैसा हमे मिलना चाहिए उतना नहीं मिलता ।
क्या करे के और जायदा कमाई होने लगे और फिर रघु ने काफी समय तक तो चाय बेची और उस से जो पैसे कमाए इन को सब करते गया और जब उसके मतलब के पैसे हो गए तो रघु ने बही स्कूल के पास एक छोटा सा ढाला रख लिया।
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और उस ढले में रघु ने काले कोट वाले लोगो के मतलब की सारी चीजे रख ली और अब बकिल लोगो को दूर नही जाना पड़े और जैसे जैसे रघु बड़ा हुआ और वैसे ही रघु अपने बेपार को भी बड़ते गया लोगो को कुछ समझ नही आया।
रघु पैसे में बड़ते गया और धीरे धीरे कर के रघु ने बहा पे अपना नाम बना लिया और सब लोग उसे जानने लगे लोग रघु को बहुत बड़ा बेपारी समझने लगे कई लोग तो उसके तर्राकी पे जानलें लगे लेकिन फिर भी रग्घू नही रुका। छोटू के जादुई आम। Chotu ke jadui aam।
और रघु ने अपने स्कूल का पूरा का पूरा कोर्स मागा लिया और अपने सारे स्कूल के लड़के लोगो को बता दिया के सस्ते दामों में हमारे पास कोर्स आ गया है तो हम से ही कोर्स लेके जाना।
लेकिन इस बीच रघु के पिता का निधन हो गया और रघु बहुत दुखी और अकेला पड़ गया लेकिन फिर भी रघु ने हार नहीं मानी और लगा रहा और कुछ ही समय में रघु ने खुद को इतना काबिल बना लिया के अब उसे किसी के सामने हाथ फैलने की जरूरत नही पड़ेगी।
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रघु ने अपने मां के चांद रुपए से अपना खुद का इतना बड़ा बेपर बना डाला और आज उस बेपार से रघु महीने के लाखो रुपए कमाने लगा और देखते ही देखते रघु ने अपनी दुनिया बदल डाली।
दोस्तों कहते हे ना के अगर इरादे नेक हे और कुछ करने का जुनून हे तो इंसान के सामने कितने भी चुनौती हो अगर उसने कुछ ठान ले तो बो करके ही रहता है।
दोस्तो i hope aap sab ko ye short story pasand aaye।