संतोष एक फैक्टरी में काम किया करता था संतोष घर से परदेश गाय हुए कई महीने हो गाय थे वैसे तो हो हर बार नवरात्रि में अपने गांव जाता था और दिल लगा के माता रानी की आराधना किया करता था लेकिन इस बार संतोष के मालिक ने उसे घर नही जाने दिया और कहा के काम बहुत जायदा हे तुम अभी नही जा सकते।
बिचारा संतोष भी क्या करता उसे अपने मालिक की बात माननी पड़ी और फिर इस बार संतोष बही रुक गया लेकिन फिर संतोष ने अपने नवरात्रि के पूजा के लिए अपने रूम पे ही बिबास्था की और माता रानी की इस्थापना की और बही पूजा करना सुरु कर दिया।
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संतोष दिल से माता रानी की आराधना किया करता था संतोष दिन भर फैक्टरी में काम किया करता और साम को माता की पूजा और ऐसा पूरे नवरात्रि चला संतोष ने दशहरे के दिन माता रानी को विसर्जन किया और फिर अपने रूम पे लोट आया।
और उस दिन संतोष को बहुत बुरा लग रहा था । लेकिन कहते हे की नवरात्रि सिर्फ नो दिन की ही होती हे इस से जायदा नही और फिर संतोष उस दिन फैक्टरी नही गया और घर में माता रानी की यादों में ही बेटा रहा और रोता रहा और कब साम हो गई कुछ पता ही नही चला और संतोष बिना कुछ खाए पिए सो गया।
Navratri special kahaniyan। भक्त संतोष की कहानी।
कहने को तो संतोष अपने गांव नही जा पाया था और फिर दूसरे दिन से ही संतोष काम करने जाने लगा और हर दिन माता रानी की पूजा और आराधना किया करता था । एक दिन संतोष फैक्टरी में कुछ काम कर रहा था और सभी संतोष जिस मशीन के नीचे काम कर रहा था उस मशीन के ऊपर का रोलर संतोष के ऊपर गिरने लगा।
और सभी चमत्कार हुआ और सोयम माता रानी ने उस रोलर को अपने हाथो से रोक लिया और बो संतोष के ऊपर नही गिरा और जब संतोष बहा से हठ गया और तब जाके बो नीचे गिरा फैक्टरी में हड़कंप मच गया लोग याहा बहा भागने लगे ।
किसी को कुछ समझ नही आ रहा था के ये हुआ केसे फैक्टरी में बहुत से लोग उस रोलर के नीचे आ गाय और फिर जब फैक्टरी मालिक को पता चला के ये सब हो गया और कई लोग उस के नीचे दब गाय तो फैक्टरी मालिक आया और लोगों को बचाने की कोशिश की गई पर कुछ लोग ही बच पाए।
और फिर उस रोलर को किसने गिराया और केसे गिरा इस सब की चेन बिन होने लगी और होश तो तब उड़े लोगों के जब फैक्टरी के सीसीटीवी कैमरे चेक किए गाय उस में पता चला के रोलर का ज्वाइंट टूटने के करण बो नीचे गिरा ।
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लेकिन इस से पहले बो नीचे गिरता के सोयम मां अम्बे ने आके उसे रोक लिया और जब संतोष नीचे से हटा तब माता रानी ने उसे छोड़ दिया और संतोष की जान बचाई और जब ये सब संतोष ने अपने आखों से देखा तो संतोष के आंखे भर आई और बो माता रानी के चारण में गिर गया।
और बो माता रानी से बोला हे मां में कितना मूर्ख था के में आप के दर्शन के लिए रोता रहा लेकिन मुझे ये पाता नही था के आप तो पल पल हमारे साथ ही रहती हे आप का साया हमेशा हमारे सर पे हे और फिर संतोष ने माता रानी के दर्शन करने के लिए एक अटूट तपस्य की जिस में संतोष बिना कुछ खाए पिए अपने रोम में बंद होकर ।
एक पैर पर तब तक खड़ा रहेगा जब तक माता रानी सोयम आके संतोष को न रोक और ऐसा काफी समय तक चलता रहा संतोष ने पूरा एक महीना गुजर दिया और ऐसे ही खड़ा रहा और अब संतोष की हालत खराब हो गई थी इस से पहले संतोष को कुछ हो जाता के माता रानी ने संतोष को दर्शन दिए।
और संतोष को फिर से सही भी कर दिया लेकिन संतोष ने माता रानी से एक वरदान मांगा के हे मां आगरा आओ अपने भक्त को कुछ देना चाहती है तो मेरी एक इच्छा पूरी कर दो माता रानी ने संतोष से कहा बोलो बेटा हम तुम्हारी हर इच्छा पूरी करुगी।
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संतोष मां मुझे इस दुनिया में और नही रहना आप हमे अपने साथ लेके चलो हम आप के चारण में रह कर आप की सेवा करना चाहता हु। संतोष और इतना सुनते ही माता रानी ने संतोष की इच्छा पूरी कर दी और संतोष की शरीर की पत्थर की मूर्ति बन गई और संतोष की आत्मा माता रानी के साथ चली गई।
और कुछ समय के बाद जब उस रूम को खोला गया तो लोगों को संतोष की मूर्ति मिली और लोगो को यकीन हो गया के संतोष एक सच्चा भक्त था जो माता रानी की कठोर तपस्या कर के खुद को पत्थर का बना लिया और आज से संतोष का यही मंदिर बना दिया जाय और ऐसा ही हुआ ।
जो लोग संतोष की मानते थे उन लोगो ने मिल के संतोष को उस घर में ही इस्थापित कर दिया और कई लोग संतोष की पूजा भी करते और कई लोगो की संतोष ने इच्छा भी पूरी की ओर सब कुछ पहले के तरह चलने लगा और संतोष माता रानी के साथ रह कर उनकी सेवा करने लगा ।