इंसान अपने आखों देखे चीज पर ही भरोसा करता है। कोई कितना भी क्यों न सही बोले पर उसे बिस्वास नही होता और आज की एक एसी ही घटना बताने जा रहे हे।आप को।
एक छोटे से गांव में रघु और बिनोद नाम के दो लड़के रहते थे दोनो मछली पकड़ने रोज नदी के पास जाते और साम को जितनी भी मछली फसती बो उन को बेच कर । अपना घर चलते और जो पैसे बचाते उन को सेफ करते थे।
एक दिन दोनो मछली पकड़ने के लिए नदी के किनारे बैठे थे और जल लगा हुआ था लेकिन बहुत समय हो गया गिर भी मछली नही फसी थी। बिनोद ने रघु से कहा । रघु नदी में घुस और देख कही जल कही से फट तो नही गया।
आज तक मछली फसने में इतना टाइम नही लगा आज क्यों लग रहा हे।जा देख तो और रघु नदी में उतर गया और अंदर देखने लगा काफी समय तक देखने पर जाल में कुछ नही था रघु जैसे ही बहार निकले बाला था । के अचानक किसी ने उस का पर नदी में खीच लिया।
रघु बहुत घबरा गया बो बहार निकले के लिए बहुत कोशिश करे परंतु बो अपना पर नही छुड़ा पाए रघु बिनोद को आवाज लगाई पर उसके गले से आवाज नहीं निकले 😱 रघु की धड़कन बाद गई उसे पानी में खीच लिया और अंदर कई गोटे लग गए उसे।
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और तभी बिनोद की नजर उस पे पड़ी तो बो नदी में नजर नहीं आया और फिर उसने कहा अरे रघु नदी में ही डूबा रहेगा क्या बहार आ और तब जाके उस का किसी ने पर छोड़ा और जैसे ही बो पानी से बाहर आया बहुत डर गया और घबरा के पानी से बाहर आया।
और बिनोद से बोला भाई मेरा पैर किसी ने पकड़ लिया था में बहार नहीं निकल पा रहा था और नही मेरी आवाज निकल रही थीं 😁ये सुन के बिनोद हसने लगा और फिर बोला अरे यार तेरा पर कही जाल में फस गया होगा इस बजाय से तू नही निकल पाया होगा।
और दूसरी बात पानी के अंदर आवाज नहीं निकलती क्या यार तू कितने समय से मछली पकड़ रहा हे कभी तेरे साथ ऐसा कुछ हुआ क्या रघु नही भाई इस लिए तो बोला रहा हु । के मेरा पैर किसी ने पकड़ लिया था ।
ये सुनके बिनोद फिर से हसने लगा 😁 बिनोद यार तू पागल हो गया और फिर रघु पर पे बैठ गया और बिनोद ने कई सारी मछलियां पकड़ ली और फिर उन को लेके बो घर चले आया । और दोनो ने सारी मछलियां पानी में डाल दी सोचा सूबा जाके बेच देगे।
और फिर दोनो ने खाना बनाया और सो गए। लेकिन रघु अभी भी नही सोया था बो अभी नदी बाली बात ही सोच रहा था क्योंकि जिस के ऊपर बिट्टा ही बही जनता हे रघु को भरोसा था के पानी के आदर जरूर कोई था । लेकिन बो था कोन ये समझ नही आ रहा था।
और फिर कुछ टाइम के बात रघु भी से गया और फिर सूबा हो गई तो दोनो मार्केट गए और सारी मछलियां बेच दी लेकिन फिर भी उन के पास बहुत कम पैसे थे । क्योंकि उन की मछलियां बेपरी 50 रुपए किलो लेते थे और 300 रुपए केजी बेचते थे ।
लेकिन बो भी क्या करे बेचना तो पड़ेगा ही नही तो क्या करेगे बो और एक दिन फिर रघु ने बिनोद से कहा भाई हम लोग रोज रोज इतनी मछलियां पकड़ते हे लेकिन हमारे पास पैसे नहीं बचते ।
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अब से हम एक काम करेगे दो दिन मछलियां पकड़ के जमा कर लेगे और संडे के दिन हम बाजार में जाके खुद मछलियां बेचेगे और ऐसा करने से हम काम मछलियों में जायद पैसे कमा पायेगा ।
और ये बात बिनोद को भी सही लगी और फिर हर दिन दोनो नदी पे जाते और इस बार रघु पानी में नही गुस्सा और बिनोद से बोला भाई मुझे इस दिन से बहुत डर लग रहा हे तुम ही जल लगाओ हम बाहर से पकड़ लेगे और फिर बिनोद अंदर गया और उसने जल लगा दिया।
और दोनो दो दिन मछली पकड़ लिए और संडे के दिन सारी मछली बेच डाली और पूरा पीस 6 हजार जमा किया और इतना पैसा बो 15 दिन में कमाए थे और आज बिनोद और रघु को समझ आ गया और बोले अब से हम खुद का बेपार करेगे।
और फिर बो दोनो मछलियां पकड़ने के लिए गए और जैसे ही बिनोद ने जाल लगाने के लिए पानी में घुसा तो किसी ने उसका पैर खीच लिया और पानी के अंदर ले गया ।
और ये देख रघु बहुत डर गया और बो बिनोद बिनोद चिल्लाया पर बिनोद तो पानी के अंदर था और और बो उसे बही ले गया जहा उसका सरीर था । रघु जल्दी से बिनोद के पीछे गया और बही नदी में कूद गया।
और बिनोद को पकड़ और बहार फेक दिया और उस के अंदर जो था उसपे लाठी चलने लगा लेकिन बो इंसान होता तो पता चलता बातो भूत था ।
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बिनोद ने रघु से कहा भाई तू बाहर आ और मेरी बात सुन बो कोई इंसान नही बल्कि एक आत्मा हे और मेने पानी के आदर देखा के इस तरफ एक इंसान पड़ा था जिसमे पत्थर बंद हे । और सायद ये भूत ये चहेता हे के उसके शरीर को बाहर निकाल के जलाया जाए।
हार हम ने ऐसा नहीं किया तो ये हर बार हमे परेशान करेगा और हमे इसे ही दुबाएगा उस ने हमे कोई नुकसान नहीं पहुंचाया बल्कि पानी शरीर को दिखाया और बो यही चाहता हे के उसे बाहर निकल लिया जाए और फिर दोनो ने उसे बाहर निकाला और लकड़ियों में जला दिया और फिर उस की आत्मा।
रघु और बिनोद को दिखी और बो हाथ जोड़ के दोनो से बोली आप लोग बहुत भले इंसान हो आप लोगो ने मेरा अंतिम संस्कार कर के हमे इस धरती से मुक्त कर दिया मेरे अपनी ने मुझे यह डुबाया हे।
भगवान उन के कभी माफ नहीं करेगा आप लोगो का बहुत बहुत धनबाद जो आप ने हमे मुक्ति दिलाई और फिर बो इंसान भगवान के पास चला गया और फिर रघु और बिनोद फिर से मछली पकड़ने लगे।
और खुशी खुशी अपना बेपार करके अपना खर्चा चलाने लगे दोस्तो कैसी लगी आप को ये कहानी अगर पसाद आए तो एक कॉमेंट जरूर करे।