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hindi story: दो भाई की कहानी।

दोस्तो क्या आप  hindi story: दो भाई की कहानी। पढ़ने का शोक रखते हे तो फिर ये कहानी खास आपके लिए होने बाली हे आप इस कहानी को लास्ट तक पढ़ कर जरूर देखना ।

दो भाई थे एक भाई का नाम मनीष था तो दूसरे भाई का नाम यादराम हुआ करता था। दोनों भाई अपने घर में अपने मां बाप के प्यार के साथ पले बढ़े और दोनो भाई को उनके मां बाप खूब प्यार करते थे।

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कुछ मजबूरियां ऐसी होती हे जो माता पिता को मजबूत कर देती हे अपने जिगर के टुकड़ों को परदेश जाने के लिए ओर ऐसा ही कुछ मनीष ओर यादराम के बीच हुआ। और दिनों भाई को कुछ मजबूरियों के चलते अपना प्यार सा गांव के घर छोड़ के जाना पड़ा।

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मनीष और यादराम दोनों अपने गांव से दूर जयपुर में कमाने के लिए गए मनीष के पिता का एक दोस्त था जो काफी समय से जयपुर के एक फैक्टरी में काम कर रहा था। इसलिए मनीष के पिता ने उन से बात कर के अपने दोनों बेटों को जयपुर भेज दिया।

और जैसे ही मनीष ओर यादराम जयपुर पहुंचे तो मनीष के पिता के दोस्त  ने दोनों भाई को एक अच्छा सा कमरा दिलाया और और खाने पीने के लिए बताया के आप दोनों को फैक्टरी के बाहर जो होटल हे आप को दोनों समय का खाना बही पर खाना होगा।

और हर महीने में बहा पर फैक्टरी के मालिक पैसे देते हे ओर उस होटल में आप को भर पेट खाना मिलेगा और इस प्रकार दोनों भाई दूसरे दिन से ही काम करने के लिए फैक्टरी में जाने लगे और कई दिनों के बाद दोनो भाई का मन उस फैक्टरी में लग गया क्योंकि काम अच्छा था।

इस लिए दोनों भाई मन लगा कर काम करने लगे और हर दिन में दोनों भाई कम से कम 3 हजार रुपया का काम कर लेते थे । और एक दिन मनीष ने अपने बड़े भाई यादराम से कहा भइया हमे यहां पर काम तो अच्छा मिल हे और पैसे भी अच्छे आ रहे हे।

तो क्यों न हम कई महीने तक रुक कर यहां पर काम करते हे और इस से हमारे घर में जो परेशानियां आई हे वो सब दूर हो जाएगी ओर हमारे छोटे छोटे जो सपने हे बो भी पूरे हो जायेगे।

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ओर तभी यादराम ने मनीष से काह है बेटे सही हे हम लोग अब यहां से काम नहीं छोड़ेंगे लगातार कई महीने काम करेंगे कर अच्छा पैसा कमाएंगे।

दोनों भाई बहुत खुशी थे के उन को अच्छा काम मिल गाया था और एक दिन संडे था जिस दिन फैक्टरी की छुट्टी होती थी और उस दिन मनीष अपने रूम में बैठा था और यादराम छत पे बैठ कर मैच देख रहा था।

क्योंकि यादराम को मैच देखना के खेलना बहुत पसंद था और उस दिन पास के कई लड़के मैच खेलने के लिए जा रहे थे दो यादराम से रुका नहीं गया ओर बो भी उन लडको के साथ मैच खेलने के लिए चल गाय।

और अब रुम पर मनीष अकेला था मनीष ने देखा के भाई तो गया अब बो अकेले क्या करेगा इस लिए मनीष ने कुछ पैसे लिए और पास ही मार्केट में गया और गोलगप्पे खाने लगा और तभी मनीष के कालोनी में रहने वाली एक शादी शुदा लड़की आई।

और उस ने मनीष को देखा तो कहा आप को मेने कही देखा हे पर हमे याद नहीं आ रहा हे के हम ने आप को कहा देख हे। ये सुन मनीष ने उस लड़की से कहा कोई बात नहीं हे जब याद आ जाए तो बता देना हम आप के पास ही रहते हे।

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और ये बात सुन कर बो लड़की हसने लगी और बोली कमाल हे आप भी बहुत मजाक करते हे आप ने सही कहा आप हमारे ही कालोनी में रहते हे हम यही सोच रहे थे के हम ने आप को कहा पर देखा हे ।

और फिर मनीष गोलगप्पे खाने लगा और बो लड़की भी खा रही थी और तभी दोनों ने 40 रूपये के गोलगप्पे खाए तभी मनीष पैसा निकाल कर दिया और मनीष ने कहा भाई  इन भाभी जी के भी पैसे काट लेना ।

और ये बात सुन कर उस लड़की ने मनीष से कहा देखो मुझे भाभी मत बोलो अभी मेरी शादी भी नहीं हुए हे ओर ये सुन मनीष ने उस लड़की से कहा सारी पर आप तो अपने मांग में सिंदूर लगाए थे इस लिए हमे लगा के आप की शादी हो गई हे।

और फिर इतना सुन कर उस लड़की ने कहा अरे मेरे मानक कर रही थी है सच में मेरी शादी हो गई हे लेकिन आप को हमे भाभी जी बोलने की कोई जरूरत नहीं हे क्योंकि मेरा नाम आरती हे और आप हमे हमारे नाम से बुला सकते हे।

और फिर दोनो अपने कालोनी के लिए आने लगें और साथ साथ में आने से दोनों एक दूसरे से बाते करते आ रहे थे तभी आरती ने मनीष से कहा यार मेरी तो शादी को हुए 6 महीने हुए हे और मेरे माता पिता ने मेरी शादी जबरजस्ती करवाई हे।

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लेकिन अब तो शादी हो भी गई हे क्या कर सकते हे अच्छा आप ने अपना नाम नहीं बताया और मनीष ने अपना नाम बताए और कहा के आप को शादी हो गई हे पर हम ने आप को साडी पहने कभी नहीं देखा हे।

और तभी आरती ने कहा मेरा यह पर कोई नहीं हे इस लिए में लोवर बनियान पहनती हु ओर मुझे इस में अच्छा लगता हे इस लिए पहन लेती हु ओर वैसे भी जब गांव जाती हु तो साड़ी ही पहन के जाती हु।

और इस तरीके से मनीष के आरती को बाते होने लगी और कुछ ही दिनों में दिनों की मुलाकाते होने लगी लेकिन इस बात की खबर यादराम को नहीं थी और नहीं आरती का पति इस बात को जनता था कर समय के साथ बाते कब प्यार में बदल गई ये तो मनीष के आरती की खुद ही लत नहीं चल पाया और एक दिन आरती ने मनीष से कहा।

क्या आप हमे आज रात्रि में मिलने आयेगे तो मनीष ने आरती से कहा जी नहीं आज तो हम नहीं आ सकते क्योंकि आज में नाइट में काम कर रहा हु लेकिन में दिन में आप से जरूर मिल लगा अगर आप कहे तो।

और फिर आरती ने है बोल दिया और कहा ठीक हे तो में आप से कल सुबह मिलने आएगी आप अपने छत पे मेरा इंतजार करना और फिर दूसरे दिन दोनो की मुलाकात हो गई और मनीष में भी आरती से काफी बाते की ओर अपने दिल की बात बताई ।

ओर इस बात को आरती भी मन गई के अब आरती की मनीष से क्यार हो गया लेकिन अब आरती तो शादी शुदा थी इस लिए आरती ने मनीष से कहा के में तो शादी शुदा हु फिर तुम हम से प्यार क्यों किए।

और तभी मनीष ने कहा देखो में कुछ नहीं जनता अब तो हमे आप से लूट हो गया अब आप ही बताओ हम क्या करे के आप हमारी हो जाओ और हम आप से बहुत सारा प्यार करने लगे हे आरती जी।

दोस्तो ये कहानी बहुत बड़ी होने लगी हे इस लिए अब में इस कहानी को यही पर रोकता हु और में इस पोस्ट का 100 कॉमेंट का टारगेट रखता हु अगर ये 100 कॉमेंट पूरे हुए तो इस कहानी का पार्ट तू जरूर लेके आऊंगा बहुत ही जल्दी।

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