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hindi short story with moral, जादुई कहानी।

दोस्तो क्या आप भी hindi short story with moral, जादुई कहानी। पढ़ना पसंद करते हे तो ये जादुई कहानी बहुत ही इंट्रस्टिंग होने बाली हे और यक़ीनन ऐसी जादुई कहानी आप ने इस से पहल कही नहीं देखी होगी नहीं कभी सोची होगी।

ये कहानी हे एक राधे नाम के लड़के की जो एक छोटे से गांव में अपने परिवार के साथ रहता था और राधे के पिता एक कुम्हार थे जो मिट्टी के बर्तन बना कर अपने घर का खर्च चलाया करते थे और ऐसे ही राधे के पिता अपना घर चलाया करते थे।

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लेकिन अब समय के चलते उन का बेपार कम हो गया और अब तो लोगों ने मिट्टी के बर्तन खरीदना छोड़ दिया था जिस से राधे के पिता का बेपार खत्म सा हो गया और अब तो राधे का परिवार के खाने के लाले पड़ने लगे।

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और अब राधे के लिया मुनिम बहुत परेशान हो गए बो गांव गांव जाके अपने मिट्टी के बर्तन बेचने लगे फिर भी लोग नहीं खरीद रहे थे और फिर मुनिम घर पे आते हे और अपने पत्नी से बोले अब तो हमारे काम ही बंद हो गया ।

जब से ये फ्रिज और स्टिल के बर्तन चल गए जब से हमारे पानी के मटके और और बर्तन बिछना ही बंद हो गए अब हम लोग क्या करेंगे हमरा घर कैसे चलेगा हम तो ये सोच सोच कर परेशान हो गया हु हमारे बेटा भी काम नहीं करता ।

अब हमारा घर कैसे चलेगा भगवान। ओर तभी राधे की मां मुनिम से बोली आप इतना परेशान मत हो भगवान कोई न कोई रास्ता जरूर से निकाल देगे बस आप लोग हार मत मानो ओर कुछ नया करने की कोशिश करो।

और ये सब देख कर राधे भी सच में परेशान होने लगा और राधे को एक काम सुझा जिस को राधे ने अपने पिता को बताया ओर उन से कहा पिताजी अब से हम मिट्टी के बर्तन बनना छोड़ के ईट बनाए और ईट सब लोग खरीद लेगे ।

क्योंकि बाजार में ईट का भाव अच्छा चल रहा है जितना मेहनत हम बर्तन बनने में करते हे उतना मेहता अगर हम ईट बनाय तो हम अपने घर का खर्च भी निकल सकते हे ओर राधे के पिता मुनिम को हे बात समझ आ गई ।

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और अब बो लोग ईट बनने लगे और देखते ही देखते सब लोगों ने मिल कर 5 हजार ईट बना ली और अब एक दिन राधे बाजार में जाके ईट का भाव पता किया तो एक ईट करीब 4 रुपया की जा रही थी।

और फिर राधे ने उस दुकानदार से कहा के मेरे पास भी ईट हे अगर साल खरीदो तो बताओ और फिर उस दुकानदार ने राधे से कहा हम तुम्हारी ईट तो खरीद लेगे लेकिन फिर तुम को हमेशा अपनी ईट हम को ही बेचनी पड़ेगी।

क्योंकि हम अभी दूसरे से ईट खरीद कर बेचते हे और अगर हम ने उस से नहीं खरीदा तुम से खरीदा तो हो हमे फिर ईट नहीं देगा इस लिए सभी सोच लो तुम को हमेशा हम को ईट बना के देनी पड़ेगी।

और राधे ने सोच समझ कर है बोल दिया और फिर उस दुकानदार ने राधे को 10 हजार रुपए दे दिया और कहा में तुम्हारे घर से ईट उठवा लगा अब तुम ये पैसा लेके जाओ पूरा पैसे ईट आने के बाद दुगा।

राधे पैसे लेके बहुत खुश हुआ और फिर अपने माता पिता के लिए कुछ समान खरीद कर लाया और अपने माता पिता को पैसे देके बोला पिताजी अब हमे परेशान होना नहीं पड़ेगा हम को एक अच्छा  खरीद दार मिल गया हम कितनी भी ईट बनाए बो सब खरीद लेगा और अच्छे भाव में ।

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और अब राधे भी मेहता करने लगा के अपने घर को चलने लगा लेकिन उन सब को ये बात पता ही नहीं थी के उन सब के बीच ये हुआ क्या और कैसे ओर अगर हमे कुछ जानना हे तो हम को कहानी में थोड़ा पीछे चलना होगा।

एक दिन की बात हे राधे अपने घर से दूर तलब के पास बैठ कर सोच रहा था के अब उसका घर कैसे चलेगा और बो बहुत परेशान था के उसे तालाब में एक बड़ी मछली दिखाई दी और उस मछली के चाकर में राधे तालाब में घुस गया।

और तालाब में बहुत देर खोजने के बाद भी मछली हाथ नहीं लगी और अब राधे तालाब से बाहर आने लगा के तभी उस का पैर ईट बनाने के सांचे पर पड़ गया और जब  राधे ने हाथ डाल के उसे बाहर निकाला तो उसे पता चला के ये क्या हे।

और जैसे ही राधे ने उस सांचे को हाथ में लिया तो उस सांचे का जादू काम करने लगा और राधे के दिमाग में उस ने ईट बनाने का फैसल भर दिया और अब राधे को बस एक ही इंडिया समझ में आने लगा और इस लिए राधे ने अपने पिता से इस बारे में बात की जो लड़का काम करने नहीं चाहिए था ।

लेकिन ईट बनाने के सांचे ने उस लड़के को भी काम करने की आदत डाल दी और इस बात का किसी को भी लता नहीं हे के बो जादुई ईट बनने का सांचा हे जिस से राधे एक ईट बनाता हे उस से अपने आप कई सारी ईट बन जाती हे।

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और इस लिए ही राधे ने अकेले 2 से 3 दिन में 5 हजार ईट बना थी और इस लिए अब उन लोगों का बेपार सही चलने लगा था और ये सब जादुई सांचे का कमाल था।

और अब तो सब लोग अच्छे से काम करने के बाद अच्छा पैसे कमाने लगे और सोना घर सही से चलने लगे कर इस के साथ राधे भी मेहनत कर के अपने माता लिया का साथ देने लगा जिस से लोगों के नजर में  राधे की एहमियत बाद गई।

दोस्तो आप सब को हे कहानी कैसी लगी अगर पसंद आय तो शेयर जरूर करे के अपने दोस्तो को भी दिखाया।

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