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hindi short story, हिन्दी शार्ट स्टोरी।

फ्रेंड क्या आप भी hindi short story, हिन्दी शार्ट स्टोरी। पढ़ने का शोक रखते हे तो ये पेस्ट खास आप के लिए हे और अगर आप भी स्टोरी वीडियो बनाते हे तो आप हमारी स्टोरी फ्री में ले सकते है।

कहानी शुरू होती हे एक घनघोर जंगल से जहां पर एक 9 साल का लड़का करण ओर उसका दादा मनोहर लाला दोनों एक साथ रहा करते थे और इन दिनों का जंगल में रहने का कारण भी हम आप सबको बतादे के करण के माता पिता कर उसकी दादी एक शहर में सिलेंडर फटने के बजाय से मारे गए थे।

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और इस के चलते मनोहरलाल ने अपना शहर का घर छोड़ के अपने पोते को लेके जंगल के तरफ निकल आय और उस के साथ बिना कोई आधुनिक ताकिनक के साथ जंगल में पुराने तरीके के लोगो के जैसे रहने लगे।

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दोस्तो अभी में बताऊं आप के ये कहानी बहुत ही इंट्रस्टिंग होगी इस लिए इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ना दादा जी और करण दोनों अपना जीवन अच्छे से जी रहे थे बही दादा जी अपने पोते को अपने तरफ से अच्छी शिक्षा भी दे रहे थे ।

और बिना किसी के रोक टोक के दोनों अपने जीवन में खुश थे  एक दिन की बात हे मनोहरलाल जंगल से शहर जाने के लिए करण से बोलता हे के बेटा आप घर पहनी रहना ओर खाना बना रखा हे तो खा लेना में शहर जंगल के तरफ जा रहा हु ।

खाने का बीच लेने हमारे खाना खत्म होने बल है और हो सकता हे हम आने में लेट हो जय इस लिए तुम जंगल में मत जाना बाहर हो रहना ओर रात होने पर खाना खाकर सो जाना करण ने दादा जी से कहा आप जाओ में घर पे ही रहूंगा ।

और अब मनोहरलाल शहर के तरफ निकल गए और कुछ ही देर के बाद करण खेलने के लिए बाहर आया करण ने देखा के एक खरगोश हे जो बहुत ही प्यार हे लेकिन उसे पकड़ना मुश्किल था इस लिए करण खेलते खेलते उस के पास पहुंच गया।

लेकिन खरगोश तो बहुत शातिर होते हे और जैसे ही करण ने उसे पकड़ने की कोशिश की तो बो भागने लगा और करण उस के पीछे गया ओर खरगोश तोड़ी दूर जाकर एक धरती में बने हुए हॉल में घुस जाता हे।

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करण भी किसी से कम नहीं था उसके साथ बो भी उस हॉल में घुस गया ओर जैसे ही करण ने देखा के हो हॉल अंदर से बड़ा हे तो बो ओर अंदर जाने लगा और देखते ही करण के सामने बो खरगोश आ गया ओर इस से पहले करण खरगोश पकड़ता के अचानक नीचे का गेट खुल गया।

और खरगोश नीचे गिर गया और उसे चोट लग गई ये देख करण से रहा नहीं गया और बो भी लटक कर नीचे उतार तो उस ने देखा के नीचे तो पूरा का पूरा घर जैस बना हुआ हे और जब करण ने अपने चारों तरफ देखा तो पता चला के कमरे ही कमरे बने हुए हे।

ये सब देख कर करण बहुत हैरान हो गया और फिर करण एक कमरे के पास गया और उसे खोल तो उस के अंदर जो था उसे दिखे बो हैरान हो गया उस ने आज से पहले ये सब नहीं देखा था क्योंकि उस कमरे में कम से कम 500 बोर हरे हुए पड़े थे और जब करण ने सारे कमरे खोले तो देखा के बो सब कमरे फसल के बोरो से  भरे पड़े हे।

ये सब देख कर करण बाहर निकल आया और उस खरगोश को उठाया और अपने साथ में लेके चल आया और तब तक शाम हो गई थी और फिर करण खाना खाया और सो गया करण जंगल में बस चावल खाकर अपना पेट भरता था।

और जब सुबह हुए तो करण ने देखा के उसका दादा आ गया है तो उस ने सब कुछ अपने दादा जी को बताया ओर फिर दोनो बहा पर गाय और जब दादा जी ने देखा के ये जमीन के अंदर नहीं जा पाएगा तो फिर दादा जी और करण ने मिल कर खुदाई शुरू की और उसे खोद कर बड़ा कर दिया।

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और फिर दिनों अंदर गए और जब दादा जी ने कमरे खोले और देखा के सारे कमरे अनाज से भरे पड़े हैं और एक कमरे में तरह तरह के फसलों के बीज भरे हुए हैं और फिर जब दादा जी ने उन बोरो पर देखा तो कम से कम बो सब फसल के बोरे 150 साल पुराने थे लेकिन इतने समय में कोई भी अनाज खराब नहीं हुआ था क्योंकि उस अनाज भंडार को इस तरह बनाया गया था के बो जल्दी खराब न हो।

और ये सब देख कर मनोहरलाल बहुत खुश हो गया और अपने पोते करण से बोला के बेटा ये 159 साल पुरान अनाज का भंडार हे जो हमारे लिए सोने से कम नहीं हे और अब हम को हर दिन चावल नहीं खाना पड़ेगा और ये सब कुछ हमारा जो गया ओर हम को 100 से भी जायदा फसलों के बीच भी मिल गई हे।

इन सब बीज को हम सारे जंगल में बो देंगे जिस से हम को खाने पीने की कभी कमी नहीं होगी और ये सब बीच बहुत ही जल्दी उग जायेगे और अब से हमें शहर जाने की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी।

और सब से बच के हम इस तहखाने में रहेंगे और अच्छे से रहेंगे और अब से हमें बारिश और धूप की परेशानी नहीं होगी हम लोग खुशी खुशी अपना जीवन जायेगे। ये सुन कर करण ने अपने दादा से कहा तो इस से तो हम लोग सब्जियां उगा के बाजार में बेच सकते हे दादा जी और पैसा भी कमा सकते है।

और तभी दादा जी। ने करण से कहा बेटा हम को जंगल से बाहर नहीं जाना हम यही पे खुश हे ओर सुरक्षित हे बस हमे खाना पानी की जरूरत थी तो बो भी ऊपर वाले ने भरपूर दीदी ओर अब हम मेहनत कर के फसल करेंगे और खुद कमाएंगे ओर खाएगे।

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और इस तरह मनोहर लाला और करण दोनों खुशी खुशी जंगल में रहने लगे और अपना जीवन खुशी से जीने लगे। दोस्तो ये कहानी आप सब को कैसी लगी जरूर बताए।

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