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hindi kahaniya, विनोद की मेहनत का फल।

दोस्तो क्या आप hindi kahaniya, विनोद की मेहनत का फल। ये कहानी एक लड़के के मेहनत के ऊपर आधारित हे कहते हे के जो मेहनत करता हे भगवान उसे जरूर कामयाब करते हे आप सब इस कहानी को एक बार जरुर से पढ़े ।

विनोद एक पहाड़ी गांव में रहता था विनोद के माता पिता पत्थर तोड़ने का काम करते थे और उस से जो पैसे आते उन से अपना घर चलते थे विनोद छोटा था तो बो घर में रहता था और स्कूल जाता था।

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और इस तरह विनोद का घर चल रहा था विनोद 9 साल का हो गया था और विनोद के माता पिता बहुत गरीब थे गांव में सबसे ज्यादा गरीब होने के कारण लोग विनोद के घर बालो से जायदा मतलब नहीं रखते थे।

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और नहीं विनोद के घर के किसी भी सदस्य को शादी विवाह में बुलाया करते थे एक तरफ विनोद बहुत नीची जयति का था इस लिए गांव के शादी में विनोद के घर बालो को नहीं बुलाया जाता था ।

लेकिन फिर विनोद अपने माता पिता के साथ खुश था और अपनी जिंदगी अच्छे से जी रहा था विनोद के माता पिता विनोद से बहुत प्यार करते थे। लेकिन ये खुशी जैसा समय तक नहीं रहने बलि थी।

एक दिन हर रोज के तरह विनोद के माता पिता खाना खाकर अपने काम पर जाते हे और आज विनोद के माता पिता को पहाड़ी के ऊपर बल हिस्सा नीचे गिरना था अगर सही से समझे तो पहाड़ का एक बहुत बड़ा हिस्सा छैनी और हथौड़ी से तोड़ कर गिरना था।

और इस काम में आज दिनों को बहुत मेहनत करनी थी विनोद पिता मोहन लाल ने अपनी पत्नी सुमित्रा से कहा के आप हम दोनों को बड़ा काम करना हे इस लिए जल्दी चलो और फिर दिनों पहाड़ी के पास पहुंच कर अपना सामान उठाएं और पहाड़ी के ऊपर जाने लगे।

और कुछ ही समय में दिनों पहाड़ी पर पहुंच गया लेकिन जिस पहाड़ी को मोहन लाल को तोड़ना था बो नीचे लटकी हुए थी लेकिन हैरानी की बात ये थी के ठीक उस पहाड़ी के ऊपर एक बड़ा सा पत्थर था।

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जो बहुत समय से बह पर अटका हुआ था और अब मोहन लाल को डर था के अगर बो उस पत्थर के नीचे बल पत्थर तोड़ता हे तो कभी बो पत्थर उन के ऊपर नहीं आ जाय पर क्या करते हो दोनों ठेकदार ने कहा था।

के आज इस को तोड़ना हे तो तोड़ना हे इस के लिए हम तुम को पैसे देते हे दोनों अपना काम शुरू कर देते हे और कुछ ही समय में मोहन लाल ने बहुत सा पत्थर तोड़ दिया था और थोड़ा सा बचा था।

इस  से पहले बो पत्थर टूट कर नीचे गिरता के ऊपर बल पत्थर अपने आप नीचे आने लगा और मोहन लाल ओर उसके पत्नी सुमित्रा के ऊपर से निकल गया और दोनो उस में मरे गाय।

ठेकेदार बहुत खराब था उस ने गांव बालों को बताए के मोहन लाल ओर उसकी पत्नी सुमित्रा एक हादसे में मारे गए इस में किसी की गलती नहीं हे और फिर दोनो का अंतिम संस्कार विनोद के हाथों कराया गया।

ये सब देख ओर सुन विनोद तो अपनी सूद बुध भूल गया था अब क्या होगा विनोद का आगे कहानी में बने रहे आप को पूरी कहानी बताई जाएगी।

विनोद का इस दुनिया के कोई नहीं बचा था और विनोद के माता पिता ने जो कुछ बचा कर रखा था बो सब कुछ ही दिनों में खत्म हो गया और अब विनोद भूखों मरने लगा तो विनोद को कोई काम नहीं सुझा।

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विनोद ने एक बोरी की और कबाड़ा बिनने लगा और कुछ समय तक तो विनोद घर ही नहीं आया और विनोद गांव गांव में जाके कबाड़ा बिन के बैच देता ओर उस से जो पैसे आते उस से विनोद अपने खाने पीने का सामना खरीद लेता था ।

विनोद की इतनी खराब परस्थिति के भी गांव और परिवार वाले की साथ कभी दिए तो इस का बहुत खराब असर विनोद पर हुआ विनोद ने भी किसी को भी अपना नहीं माना और सब कुछ भूल गया ओर कबाड़ा बिनने लगा और इस काम से उसका घर चलने लगा।

समय के साथ विनोद अपने माता पिता की यादों से बाहर निकल गया और समय बहुत जल्दी निकल गया ओर विनोद के माता पिता को जाय हुए 4 साल हो गई थी विनोद के घर की एक दुबार गिर गई तो विनोद ने उसे बनने के लिए कुछ पत्थर खरीद के लाया।

और खुद से ही विनोद पत्थर को तोड़ तोड़ के अपने घर की दीवार बना रहा था और ये काम विनोद पिछले 3 दिन से कर रहा था और बस अब कुछ ही दीवार रह गई थी और उस दिन विनोद सुबह से काम कर रहा था।

और जब लास्ट में एक बड़ा पत्थर बचा तो विनोद ने सोचा इस के टुकड़े कर के दीवार का हॉल भर देता हु तो दीवार पूरी तरीके से सही बन जाएगी।

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और जैसे ही विनोद ने उस पत्थर को तोड़ तो उस में से बहुत ही चमकीली चीज बाहर आई और उसे देख विनोद बहुत खुश हुआ और उसे लेके विनोद ने पूरे गांव में हल्ला कर दिया के उसे एक चमकीला पत्थर मिल गया हे।

और अब विनोद उस पत्थर को लेके बाजार में बेचने गया तो सुनार ने कहा के इस पत्थर की कीमत कोई सुनार नहीं दे सकता क्योंकि ये बेस कीमती हीरा हे ।

और इस की कीमत करोड़ों में हे हमारे पास एक बेपरी की जानकारी हे जो तुम्हारे हीरा को अच्छे पैसे में बिकवा देगा और कुछ ही दिन में विनोद ने उस हीरा को 60 करोड़ में बेच दिया और उस दिन के बाद विनोद अपने गांव में क्या पूरे शहर में सबसे बड़ा आदमी बन गया।

और पूरा गांव विनोद की देख कर बहुत जलने लगा और फिर विनोद ने भी गांव के किसी भी। इंसान को भाव नहीं दिया और अपने पैसे के साथ खुशी से जीने लगा दोस्तो एक बात तो सही हे के किस्मत कब पलट जय की कह नहीं सकता।

और अगर इंसान मेहनत करने से पीछे ना हटे तो बो दुनिया बदल सकता हे दोस्तो अगर आप सब को ये कहानी पसंद आए तो शेयर जरूर करे।

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