एक लम्बे समय के बाद एक इंसान अपने गांव अपने घर आता है बो बहुत समय से शहर में काम कर रहा था पर कभी उसे घर जाने का मोका नही मिला था ।
और अब बो भी शहर में रहते रहते थक गया था एक दिन उस ने फैसला किया के अब बो गांव जायेगा और बही रहेगा जब तक उस का दिल करेगा और जब बो गांव आया ।
उस ने देखा के आदे से ज्यादा गांव खाली हो गया था गांव के लोग शहर में जाके बस गए उसे बहुत ताजोब हुआ के बो ही नही यह तो हर कोई गांव छोड़ के जा रहा है ।
उसे ये सब देख बहुत बुरा लगा और फिर उसने अपने घर का ताला खोला और जैसे ही अंदर गया तो उसने देखा के अब उस का घर घर नही जंगल हो गया क्योंकि बो पूरे 21 साल के बाद अपने घर आया था और उसके घर में और कोई नही था।
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लेकिन फिर भी उस ने हार नही मानी और अपने घर को फिर के जैसा करने की कोशिश करने लगा और फिर 4 दिनों की मेहनत के बाद उस ने अपने घर को पहले जैसा कर लिया और तब जाके उसे सुकून मिला और फिर उसने अपने समान को अच्छे से घर में लगा लिया और घर में उस दिन उस ने खाना बनाया।
उस लड़के का नाम रामचद्र था और रामचद्र ने देखा के उसके घर के ढलान में एक अजीब सा दिखने बाला पेड़ उग गया और उस में कई तराई के कपड़े लटके उसे बो सही नही लगा और उस में उस पेड़ को भी काट दिया और बहार जाके फेक दिया।
रामचंद्र ने उस दिन खाना खाया और सो गया करीब 1 बजे रामचद्र की नीद खुली उसे लगा मानो कोई दरवाजे से अंदर गया हो लेकिन उसे अंदर कोई नही दिखा और उस ने सोचा सायद उस का भ्रम है और बो फिर से सो गया।
लेकिन जब बो सूबा जगा तो उसने देखा के दरवाजा की कुंडी खुली हे और उसने तो खोली नही थी फिर कुंडी केसे खुली बो बहुत हैरान था और फिर उस ने अपने मन में सोच लिया सैयद खुल गई होगी।
और उस ने उस बात पर ध्यान नहीं दिया दूसरे दिन रामचाद्र ने बहार जाके खाना खाया और रात 9 बजे बो घर आया तो उस ने देखा के उस के घर में सामान यह बहा पड़ा हे उसे ऐसा लगा के उसके पीछे यहां कई लोग आए हो।
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उसे समझ आया के जरूर यहां पे कोई और लोग आते होगे सैयद में गांव में नही था तो उन लोगो ने सोचा होगा के घर फालतू हे लेकिन अब हम जान के रहेंगे कोन हे और हमारे घर में क्यों आता है।
रामचाद्र अपने बिस्तर को सही किया और लेट गया और आज उस ने अपने कुंडी में ताला लगा लिया के कोई अंदर नही आ सके और फिर अपने तकिए के नीचे चाबी छुपा ली और सो गया ।
समय धीरे धीरे निकलने लगा और अब रात के 11 बज गए और रामचाद्र सो गया और फिर कुछ समय के बाद अंदर से किसी के बाते करने की आवाज आने लगी और जब ये आबाज रामचंद्र के कानो तक गई तो उस की नीद खुल गई।
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और बो उठा और अपने लाइट को लिया और अंदर गया तो उसे कोई नही दिखा लेकिन आवाज अभी आ रही थी और एक लोग की नही आवाज कई लोगो की थी उसे थोड़ा सा दर लगा और फिर उसने हिम्मत की ओर पीछे का दरवाजा खोला ।
लेकिन हैरानी की बात ये थी के बहा भी कोई नही था और फिर उसे दरवाजे से आवाज आई और बो भाग के बहा आया तो उस ने देखा के ताला खुला हुआ है कोई ताला खोल के अंदर या बहार गया है।
लिए तले में कोई चाबी नही थी फिर भी ताला खुला था उसे समझ नही आया और बो अपने खाट पे फिर से बैठ गया और सोच में पड़ गया यहां उसे थोड़ा सा दर भी लगे लेकिन उसमे सोच लिया के अब बो उन लोगो को पकड़ ही के मानेगा ।
और फिर रामचद्र सो गया उसने अपने पूरे घर में सफाई की पर उसे कुछ नहीं मिला और फिर बो बाजार गया और उस ने अपने घर में एक केमिकल लाया जो दिकाही नही देता पर अगर किसी के पर में लग जाए और फिर बो जिदर भी पर रखेगा बो जगाए लाल हो जायेगी पर उस जगाए पे पानी डालना पड़ेगा तब जाके बो लाल होगी और उस ने साम के वक्त ही ।
उस केमिकल को दरवाजे पर लगा दिया और नीचे भी दल दिया और फिर बो सो गया कई दिन से बो अपने घर में सो नही पा रहा था इस लिए आज बो नीद की गोली खाया और सो गया इस लिए उस की नीद नही खुली और कुछ ही समय में सुना हो गई।
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रामचाद्र उठा और सबसे पहले उस ने अपने पैरो में ठेली को बड़ा और फिर जूते पहने और फिर अपने बस बाली बाल्टी को उठाया और पानी को अपने कमरे में फेक दिया ।
😱😱और केसे ही जमीन पर पानी पड़ा तो उस की आंखे फटी रह गई उसके पूरे कमरे में पैरो के निसान थे और फिर बो अंदर गया और बहा भी पानी फेका तो उस ने देखा के उस का पूरा घर लाल पद गया हर जगाए लाल पैर ही पैर बने हुए थे।
ये सब देख बो घबरा गया उसे अब अपने ही घर में डर लगने लगा और अब उसे घर में मन नहीं लग रहा था लेकिन उस ने आज फैसला किया के उसके घर में जो भी ह बो आज उसे पकड़ के ही मानेगा ।
और उस दिन बो अपने खाट पे बैठ गया और दरवाजे के तरफ देखा रहा था और जैसे ही 1 बजा दरवाजा अपने आप खुला और बाहर से कोई आया पर रामचंद्र को नही दिखा ।
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लेकिन तभी रामचंद्र ने उसे टोक दिया और कहा तुम कोन हो और कहा घुसे जा रहे हो हमे तुम दिखाई नहीं दे रहे हो हमारे घर से चले जाओ नही तो बहुत बुरा होगा ।
पर बहा से कोई जवाब नही आया और फिर उस ने देखा के अंदर से फिर से आबाजे आने लगी और फिर बो समझ गया के जरूर भूत हे और फिर बो डरते डरते उस कमरे तक पहुंचा जहा से abaj aa रही थीं और झटके से उस ने दरवाजे खोले और पूरे कमरे में गंगाजल फेक दिया ।
और सारे भूत सामने आ गए बिलकुल इंसानों की तरह डिकाही देने लगे और फिर रामचद्र की आंखे खुली रह गई और बो बहा से भागा और बहार निकल गया ।
और पूरी रात बो बहार बेटा रहा और सूबा होते ही बो अंदर आया और उसने नहा धोखे अपने घर में पूजा की ओर पूरे घर में गंगाजल को छिड़क और पूरे घर में अगरबती जलाई और बहार से आने वाले रास्तों पर उस ने बालाजी का लाया हुआ देगे से बंद कर दिया।
और फिर जब रात हुई और इस बार रामचद्र अपने खाट को दरवाजे के सामने बिछाए उस पे बैठा और उन के आने का इंतजार करने लगा और जैसे ही रात का 1 बजा बो सब आने लगे और जैसे ही दरवाजे के अंदर आने की कोसीस की उन सब को बहुत तेज का झटका लगा मानो कोई करेंट लगा हो।
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और फिर बो सारे भूत रामचद्र को दिखाई देने लगे और फिर उन में से एक बोला तुम ने ये ठीक नहीं किया तुम हमे हमारे घर में ही आने से मना कर रहे हो हम जब से मारे हे तब से इस घर में ही रह रहे हे।
और तुम हमारे घर में आके हमे ही बाहर करना चाहते हो तुम ये बहुत गलत कर रहे हो ये सब हटाओ हमे अंदर आना हे हम ने अभी तक तुम को परेशान नहीं किया हम लोग पूरे घर में रहते थे लेकिंट तुम आ गए फिर भी हम ने तुम परेशान नही किया।
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लेकिन आज तुम हमे ही हमारे घर से निकाल रहे हो रामचद्र बोला ये तुम्हारा घर नही मेरा घर हे और तुम लोग हमारे घर में आए हो हम नही और अब तुम लोगो को जाना होगा यहां से नही तो हम तुम सब को बंदिश में करा देगे।
लेकिन फिर उन में से एक भूत बोला हम 20 सालो से इस घर में रह रहे हे और जब हम ने आंखे खोली थी तब हम इस घर में ही थे हमे कोई लोगो ने इस घर में ही जलाया था और जब से हमारी आत्मा इस घर में ही रह रहि हे।
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अभी हमारा जाने का समय नहीं आया कुछ और समय हमे यह रहने दो फिर हम सब चले जायेगे और तुम को कोई नुकसान नहीं पहुचाएगे हमारे पास इस घर के अलावा और कोई घर नही और हम अपना घर छोड़ के अभी नहीं जाना चाहते ।
रामचंद्र सोच में पड़ गया उसे पता था के इस चाकर में अगर बो पड़ा तो उसे बहुत खर्चा करना पड़ेगा और फिर ये भूत भी उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचा रहे थे और ये सही थे अपने जगाए पे ।
उस रात बो बहा से चले गए और पूरे रात बहार बैठे रहे रामचंद्र अपने आंखो से देखता रहा सब और सूबा होते ही उस ने सारी बंदिश हटा दी और अपना सामान पैक किया और बहा से जाने लगा और जाते जाते उस ने सारे भूतो से बोल दिया ।
अब तुम को जब तक यह रहना रह लो हम 5 साल के बाद आयेगे और तब तक तुम सब यह से चले जाना नही तो फिर हम तुम सब को तांत्रिक से बड़ा देगे।
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अंदर से आवाज आई हम जल्दी ही चल जायेगे आप जाए अभी और रामचद्र फिर से शहर में आके रहने लगा ।दोस्तो क्या आप को ये कहानी पसंद आई अगर आई हो तो कॉमेंट में जरूर बताएं धनबाद।