दोस्तो क्या आप भी hindi story, राजगढ़ का रहस्य हिन्दी स्टोरी। अगर आप इस कहानी कहानी को पूरा पढ़ लेते हे तो आप को राजा महाराजा के राज्य शासनों का ज्ञान प्राप्त जरूर होगा।
ये कहानी उस दौर की हे जब राजगढ़ में मुनिराज का राज्य हुआ करता था और उन का कहना ये था के जब तक इस राज्य बो शासन करेंगे तब तक कोई भी इंसान किसी का हक नहीं खाएगा।
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मुनिराज बहुत ही सख्त राजा माने जाते थे और बो अपने राजगढ़ में बहुत अच्छे से राजा का पालन कर रहे थे और उन के राज्य में राजगढ़ की प्रजा बहुत खुशी से जी रही थी किसी भी बात की प्रजा को परेशानी नहीं होती थी।
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एक समय तक तो सब कुछ सही चल रहा था लेकिन 2 साल गुजरने के बाद राजगढ़ में एक ऐसा निशान ने कदम रख दिया जी मुनिराज से बहुत जलता था और बो ये चहता था के मुनिराज की राज्य गद्दी उसे मिल जाए।
लेकिन समस्या ये थी के मुनिराज से राजगढ़ की प्रजा बहुत प्यार करती थी और उन के खिलाफ एक शब्द तक नहीं सुनती थी इस लिए उस शख्स ने कुछ ऐसा सोचा के सांप भी पर जय ओर लाठी भी नहीं टूटे।
आप सब की जानकारी के लिए बताए के पड़ोसी राज्य का एक सैनिक था जिस का नाम वीर्य भद्र हुआ करता था और उस सैनिक का मन राजगढ़ में लग जाता हे और अब बो मुनिराज से उनका राजगढ़ हत्याना चाहता था लेकिन उस वीर्य भद्र की औकात नहीं थी के बो कुछ भी मुनिराज के खिलाफ बोल दे ।
और इस लिए ही वीर्य भद्र ने एक बहुत ही खौफनाक तकनीक अपनाई वीर्य भद्र ने 30 कोस दूर से कुछ खतरनाक डाकू बुलाया कर उन डाकू में से एक डाकू था जिस का नाम तिजारा डाकू था।
तिजारा बहुत खतरनाक डाकू हुआ करता था और बो पैसे के लिए कुछ भी कर देता था और वीर्य भद्र ने उसे राजगढ़ में बुलाया और उसे कहा के तुम राजगढ़ के पिछले इलाके के जंगल में अपने साथियों के साथ बसेरा डाल दो क्योंकि बह पर राजगढ़ के सैनिक जाने से डरते हैं इस लिए तुम सब बही पर जाओ।
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और फिर तिजारा डाकू अपने साथियों के साथ उस जंगल में बस गाय और अब वीर्य भद्र ने तिजारा से कहा के तुम जाओ और सबसे पहले मुनिराज के खिलाफ राजगढ़ की प्रजा को भड़काओ ताकि जब मुनिराज के ऊपर तुम लोग हमाल करो तो प्रजा उसे बचाने नहीं आया और ऐसा करने से हम मुनिराज को राजगढ़ से बाहर निकाल लेगे।
डाकू तिजारा ने ऐसा करने के लिए एक बेहतरीन तरीका सोचा और फिर डाकू तिजारा ने राजगढ़ में मुनिराज के सैनिक का भेस रख कर राजगढ़ की प्रजा बका धन लूटने लगे और इस बात की खबर राजा तक नहीं पहुंची।
और ऐसा करने से राजगढ़ की प्रजा में हड़कंप मच गया और सारे नगर बसी एक दूसरे से बाते करने लगे के हम लोग मुनिराज को सही समझते थे लेकिन राजा तो हम गरीबों का ही पेट काट रहा है।
और इस तरह मुनिराज को पूरे नगर के लोगों में बदनाम कर दिया और इस बात की खबर अब। तक राजा के पास नहीं गई थी क्योंकि डाकू तिजारा ने कुछ ऐसा कर दिया था के मुनिराज के एक भी सैनिक नगर में नहीं आ रहे थे।
और इस लिए नगर में सब डाकू तिजारा के साथी नकली सैनिक बन के लोगों को परेशान कर रहे थे। ओर कुछ समय तक ऐसा होता हे और अब पूरे नगर के लोगों के दिल में मुनिराज के लिए नफरत हो गई।
और एक दिन राजा मुनिराज ने अपने सैनिकों से कहा मेरा रथ तैयार करो हम नगर के प्रजा के समाचार और उनके दुख दर्द बांटने के लिए उनके बीच के जाना चहीते हे और कुछ समय में नगर में मुनिराज पहुंच गए।
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लेकिन आज तो मुनिराज को देख कर लोग बाते करते करते घर के अंदर घुसने लगे और ये देख मुनिराज को कुछ समझ नहीं आया और जैसे ही मुनिराज थोड़ा आगे गए तो कुछ लोग मुनिराज के बारे में बहुत गलत बोल रहे थे ये सुन जैसे ही मुनिराज ने प्रजा से कहा ।
वैसे ही डाकू तिजारा के साथियों ने नगर के लोगों को उकसा दिया और कहा ऐसे राजा की हम एक भी बात नहीं सुनेंगे ऐसे राजा को हमे पत्थर से मारना चाहिए और पहला पत्थर डाकू तिजारा ने मर दिया।
और फिर मुनिराज के ऊपर पत्थरों की बरसात होने लगी कुछ ही समय में राजा के सिर में से खून आने लगा और लोगों के भीड़ से निकल कर डाकू तिजारा बाहर आया और राजा पर हमला कर दिया और राजा समझ गया था।
इस लिए राजा ने डाकू तिजारा की पकड़ के उठा कर पटक दिया और तलबार से डाकू तिजारा की एक भुजा कट दी और फिर गर्दन पर तलबार रख दिया तो तिजारा के सारे साथी बाहर आ गए और बोले राजा हम सब को माफ कर दो।।
हम सब पैसे के लालच में आप को मारने आय थे और हम ने ही आप के नगर की प्रजा में लुट मार की ताकि ये सब नगर के लोग आप से नफरत करने लगे और ये सुन नगर के लोगों ने डाकू तिजारा को खूब मारा और उनके साथियों को बाद दिया।
और तिजारा से पूछा के तुम को किस ने भेजा था तो डाकू तिजारा ने वीर्य भद्र का नाम बताया तो सारे मगर के लोग वीर्य भद्र के पास पहुंचे और उसे उठा कर नगर में ले आया और सजा दी ओर फिर नगर के लोगों ने राजा से माफी मांगी।
और कहा हम सब से गलती हो गई हाथ जोड़ने बल राजा कभी प्रजा पर हाथ नहीं उठाएगा हम सब आप के एहसान भूल गए थे हमे माफ कर दो अब से कभी गलती नहीं होगी।
और फिर राजा ने सब को माफ कर दिया और एक बार फिर से राजगढ़ में मुनिराज का राज्य अच्छे से चलने लगा और सब खुशी खुशी रहने लगे दोस्तो अगर आप सब को ये कहानी पसंद से तो शेयर जरूर करें।
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