लोग हमेशा भगवान को याद करते हे क्या उन को सच में कभी भगवान के दर्शन हुए । नही हुआ फिर भी लोग भगवान को मानते हे।न वैसे ही एक राम भक्त इंसान था ।जो खुद से जादा राम भगवान को मानता था । चलिए हम आप को उस की कहानी से रूबरू कराते हे।

एक इंसान था जो अपने जीवन में अपने माता पिता की सेवा के लिए जाना जाता था आप को एक बात बता दे के उस इंसान का नाम मनोहरलाल हुआ करता था । मनोहरलाल ने अपना बिबाहा नही किया था।
मनोहरलाल के माता पिता ने मनोहर लाल से बहुत कहा पर उस ने अपना बिबाह नही किया और बो इस लिए की उस का ये मानना था । के अगर उस ने सादी कर ली तो उस की घर बाली उसे उसके माता पिता से दूर कर देगी।
और बस इस लिए मनोहरलाल ने अपना बिबाह नही किया और अकेले ही अपने माता पिता की पूरी जिमेदारी अपने सर पे रख ली मनोहरलाल अपने माता पिता का ख्याल खुद से जादा रखता था । कभी किसी चीज की कमी नहीं होने देता था और इस लिए उस ने । अभी तक सादी नही की।
लेकिन कहते हे ना के जिस ने जन्म लिया उस को एक ना एक दिन मरना तो हेही और ये बात भी मनोहरलाल अच्छे से जानता था। लेकिन फिर भी उस ने सादी नही की ओर अपने माता पिता की भी बात नही मानी और एक दिन ऐसे आया के उस के माता पिता का निधन हो गया ।
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और अब मनोहरलाल बहुत अकेला हो गया मनोहर का घर में मन ही नही लग रहा था मनोहर नही गांव में रहता और नही घर में बस उस मन में एक ही नाम चलता राम राम राम राम मनोहर सब कुछ छोड़ चाड के जाने की सोच लेता हे।
और बो इस लिए की मनोहर का अब कोई नही था उस के माता पिता चल बसे इस लिए उस ने भी ये सोच लिया के में अब पिरभू श्री राम के दर्शन करने हे। जब तक राम नही मिलेगी हम नही मारेगे।
और अब मनोहर अपना सब कुछ छोड़ चाड के जाने लगा अब मनोहर इस मोह माया के जाल से निकल के राम के पास जाना चाहता था।मनोहर लाल ने ऐसा ही किया और बो अपना घर बार छोड़ के जंगल में निकल गया ।
और जब मनोहरलाल जंगल में पहुंचा तो उस के पास us ki जरूरत की कुछ खास चीज ही थी । मनोहर जंगल में दर दर भटक रहा था। मनोहरलाल को एक बात तो पता थी के अगर उसे भगवान के दर्शन करने हे तो उसे तप करना होगा।
मनोहरलाल ने अपना सारा सामान एक नदी में फेंक दिया और अब मोहनलाल के पास कुछ नहीं बचा था मनोहर एक संत जगाए पर बैठ के भगवान श्री राम का नाम लेने लगा मनोहर भगवान की भक्ति में ऐसे लीन हो गया ।
के उस को रात और दिन का कोई पता ही नही लगता उस ने धीरे धीरे कर के कई वर्ष तपस्या कर ली और एक दिन ऐसा आया जिस का मनोहरलाल कई वर्षो से इंतजार था एक दिन एक मानव आया और मनोहरलाल की तपस्या को तोड़ दिया।
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और जब मनोहर लाल की नीद खुली तो उस ने देखा की उस के सामने एक बहुत बूढ़ा इंसान खड़ा हे। और उस से पानी पीने की गोहर लगा रहा था ताजुब की बात तो ये थी । के जिस जगाए पर बैठ के मनोहर लाल अपना तपस्या कर रहा था इस पर तो बहुत सारी मिट्टी चाड गई थी।
फिर भी उस बूढ़े आदमी को मनोहर कैसे दिखा और मनोहर समझ गया और उस बूढ़े आदमी से बोला । हे भगवान में जनता ही की आप ही हो और आप हमे हमारी तपस्या से जगाने आए थे।लेकिन भगवान आप हमे अपने दर्शन दो ताकि हम धन्य हो जाए।
हम आप को पानी नही पीला सकते क्योंकि हमारे पास तो जल है ही नही लेकिन आप के दर्शन पा के हम चेन से मार सकते हे।
और जैसे ही पिरवू श्री राम मनोहर लाल के सामने आए तो मनोहर लाल भगवान को देख कर मन ही मन मुसकाया और देखता ही रह गया और फिर भगवान से बोला हे भगवान अब हमे इस धरती पर नही रहना आप के पास ही आना हे में आ रहा हु और इतना बोलते ही मनोहर लाल का निधन हो गया।
और उस की तमन्ना पूरी हुई इस बात से हमे एक बात तो समझ आ गई इंसान जो सोच ले और उसे करने की ठान ले तो भगवान भी उसे मिलने आ सकते हे।
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