Hindi kahaniyan topic|जादुई किताब।Jadui kitab। मोरल स्टोरी।
दोस्तो क्या आप को कभी कोई जादुई किताब मिली क्या आप ने भी अपने लाइफ में पढ़ाई की ओर अगर की हे। तो क्या आप को जादुई किताब मिली है । अगर नही मिली तो इस हिंदी कहानी टॉपिक को पड़े और जाने के क्या किसी को जादुई किताब मिली हे।

एक शहर में एक बहुत अच्छा और गरीब परिवार रहता था। जिस परिवार में टोटल तीन लोग थे तो चलिए हम आप को उनकी कहानी से रूबरू कराए।
गरीब रामू और उस का इकलौता छोटा सा बच्चा राजू और उस की प्यारी सी बीबी मनीषा ये तीन लोग अपने परिवार में बहुत खुश थे रामू की बीबी एक दिन रामू से बोली ये जी सुनते हो हमारी जिंदगी तो गरीबी में काट गई हे।
क्या हमारा राजू भी इस गरीबी में जिएगा और फिर रामू अपनी बीबी से बोलता हे । हे भगवान तुम क्यों परेशान हो रही हो हम अपने बेटे राजू को इस गरीबी से बाहर निकाल लगे हमे कितनी भी मेहनत करनी पड़े हम अपने बेटे को अच्छे स्कूल में पढ़ाएंगे और उसे बड़ा आदमी बनायेगे।
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तुम बिलकुल परेशान मत हो और इतना बोल के रामू अपना ठेला लेके फिर से कबाड़ा बिनने के लिए चला जाता है। हम आप के जानकारी के लिए बता दे के रामू एक कबाड़ी का काम करता था ।
रामू के पास एक ठेला हुआ करता था ।जो उस को ही लेके गांव गांव जाता और कचड़े के ढेरो से कबाड़ का सामान लता और उसे बेच कर अपने परिवार का पेट पाला करता था।
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और एक दिन रामू अपने बीबी के जिद पे अपने छोटे लड़के को लेके 🏫 स्कूल गया और स्कूल में अपने राजू का दाखला करना दिया और अब रोज रामू को स्कूल छोड़ने जाता उस के बाद रामू अपने काम करने जाता था।
लेकिन रोज रोज ऐसा करने से रामू का काम मदद चलने लगा और रामू अब बहुत चिंतित होने लगा यहां राजू की बड़ाई और बहा घर का खर्चा ये सब रामू से नही हो पा रहा था इस लिए रामू अब बहुत परेशान रहने लगा।
और यहां राजू स्कूल जाने लगा इस लिए राजू दिन पा दिन बहुत बुद्धिमान होता जा रहा था राजू का पढाई में अच्छा ध्यान था और ये सब देख कर रामू बहुत खुश हुआ और ये सोचने लगा के चलो में तो नही पड़ पाया कमसे कम हमारा राजू तो पड़ जायेगा।
और अब रामू बहुत मेहनत करने लगा के उस को अपने बच्चे को पड़ना भी हे। एक दिन की बात हे राजू हर रोज की तरय उस दिन भी स्कूल की छुट्टी होने के बाद स्कूल से बाहर आके बैठ गया और अपने पिता रामू का इंतजार करने लगा के जब बो आए और उसे लेके जाए।
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स्कूल के बाहर सब बच्चो के माता पिता अपने बच्चों को अस्कीरिम और बहुत कुछ खिला रहे थे । लेकिन बिचारा राजू सब को ऐसे ही । देखे जा रहा था । क्योंकि उस के पास न तो पैसे थे और नही उस के पिता के पास ।
राजू कभी किसी भी चीज के लिए अपने पिता रामू से जिद नही करता था क्योंकि बो जनता था के उन के पास पैसे नहीं है और राजू बही बैठा था के इतने में बही से एक संत महात्मा गुजर रहे थे तो राजू ने उन को रोक लिया।
और कहा हे गुरु देव हम गरीब को भी अपना असिश दे और तभी बो महात्मा राजू के सिर पे हाथ रख देते है।और राजू के दिल में क्या क्या चल रहा था ।सब कुछ जान जाते हे।और फिर महात्मा जी राजू को बही पेड़ के नीचे बेटा लेते हे।
और फिर बो राजू से बहुत सारी बाते करने लगते हे। और जब राजू गुरुजी के पेरो को पकड़ के रोने लगता हे। तो गुरुजी राजू को एक किताब देते और कहते बेटा राजू तुम रो मत आज से तुम्हारे सारे कास्ट दूर हो जायेगे बस तुम ।
एक बात का ध्यान रखना जिंदगी में कभी हार मत मानना लो हम तुम को ये किताब दे रहे हे जो तुम्हारे पड़ने के बहुत कम आयेगी राजू ने उन महात्मा से बो किताब ले ली।

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